कहां है वह फुटकल का गाछ
जहां चढती थी मैं
साग तोड़ने
और गाती थी तुम्हारे लिए
फगुआ के गीत?
जाने किधर है
कोमल पत्तियों वाला
कोयनार का गाछ
जिसके नीचे तुम
बजाया करते थे
मांदर और बांसुरी?
कहां गई वह सुगंंध
महुआ और डोरी की?
गूलर और केयोंद की
कहां खो गया बांसों का संगीत
और जाने कहां उड़ गई
संधना की सुगंंध?